अकोला कृषि उत्पन्ना बाजार समिति का कामकाज 4 घंटे रहा ठप
अकोला- अकोला कृषि उत्पन्न बाजार समिति में किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में सोयाबीन लाया जा रहा है किंतु बाजार में लगाता निर्माण होने वाले विवाद थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। विगत वर्ष नर्मदा सॉल्वेक्स इस कंपनी ने करोड़ों रुपए का खेत माल खरेदी करके अडतियो के पैसों का चुकारा ना करने से बड़ा विवाद सामने आया था। इस प्रकरण में पुलिस केस भी हुई थी। जिसके कारण बाजार समिति द्वारा संबंधित कंपनी के दोनों भी फार्म को बाजार समिति से बेदखल करके रद्द कर दिया गया था किंतु लक्ष्मी सेल्स कारपोरेशन इस प्रतिष्ठान द्वारा मुख्यमंत्री इनका पत्र लाकर बाजार समिति की अनुमति से कार्य को आरंभ किया गया था।
उन्होंने अपना 1 अक्टूबर को खरीदी बिक्री का व्यवहार शुरू किया किंतु बाजार समिति कि पूरे व्यापारियों और अडतीयो के मंडल ने एक साथ आकर लक्ष्मी सेल्स कारपोरेशन इस फॉर्म के साथ किसी भी प्रकार का व्यवहार नहीं करने का निश्चय किया और बाजार समिति का कामकाज 4 घंटों तक बाधित रहा। किसान राष्ट्रपाल वानखेडे का कहना था कि मैं कई वर्षों से लक्ष्मी सेल्स मार्फत अपना माल बेचता हूं मैंने इस बार भी लक्ष्मी सेल के मार्फत अपना माल बेचना चाहा तो मेरे आसपास के सभी किसानों के सोयाबीन फसल का लीलाव हुआ किंतु मेरा नहीं हुआ इस कारण मैंने जब बाजार समिति से इसका जवाब पूछा तो उन्होंने कुछ नहीं कहा और दूसरे अडती के पास माल ले जाने को कहा।फिर लक्ष्मी सेल्स कॉरपोरेशन को आरंभ करने की अनुमति क्यों दी गई ऐसा सवाल उन्होंने उपस्थित किया। हालांकि लक्ष्मी सेल्स प्रमुख द्वारा अपने विचार रखते हुए कहा कि बाजार समिति हमें इस पूरी प्रक्रिया में सहयोग नहीं कर रही है इसे देखकर लगता है कि वह कहीं ना कहीं किसी के दबाव में कार्य कर रही है। जिसके चलते सैकड़ों किसान का हजारों क्विंटल खेत माल बगैर लीलाव के जमीन पर पड़ा है ।
मामले को बढ़ता देख परिणाम स्वरूप रामदासपेठ पुलिस को बुलाया गया और दोपहर 2:30 के बीच बाजार समिति और प्रशासन की मध्यस्थता के बाद बाजार का कामकाज पहले के अनुसार शुरू करने का प्रयास हुआ करीब 4 घंटे खंडित रहने वाले बाजार सुचारू हुए तक सैकड़ों किसान परेशान नजर आए इस प्रकरण में किसान और कामगारों को परेशानी का सामना करना पड़ा। देखा जाए तो बाजार समिति में लगातार नए नए विवाद सामने आते ही रहते हैं जिसका नुकसान किसानों को होता है इस और संबंधित प्रशासन ने गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत होने का विचार कई किसानों द्वारा एवं कामगारों द्वारा व्यक्त किया जा रहा है।
0 Comments