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स्कूल बैग के बोझ से पीठ दर्द का शिकार हो रहे बच्चे.... शासन स्कूली बैग का बोझ कम करने की जरूरत

स्कूल बैग के बोझ से पीठ दर्द का शिकार हो रहे  बच्चे 
शासन स्कूली बैग का बोझ कम करने की जरूरत
बुलढाणा- सरकारी व निजी स्कूलों में पढ़ने वाले स्कूली बच्चों पर स्कूल बैग का बोझ बढ़ता दिख रहा है। स्कूलों में नई पुस्तकों के भारी बोझ के साथ बच्चे एक बार फिर भारी बैग कंधे पर उठाकर स्कूलों में जाने को मजबूर हैं। भारी बैग का यही बोझ बच्चों को कमर व पीठ दर्द का रोगी बना रहा है। बावजूद इसके स्कूल प्रबंधन का इस ओर ध्यान नहीं है। स्कूलों का भारी बैग उठाने वाले बच्चे कमर व पीठ में दर्द की शिकायत करते हैं। चिकित्सक भी इस बात को मानते हैं कि स्कूल बैग के बोझ को लगातार उठाने के कारण बच्चों में यह बीमारी आ रही है। ऐसे में बैग का बोझ उठाने वाले बच्चों पर विशेष ध्यान दिए जाने की जरूरत है। चिकित्सकों की मानें तो भारी स्कूल बैग के चलते कंधे, रीढ़ की हड्डी, कमर, घुटने में दर्द व सूजन तो आम शिकायतें हैं। बस्ते के बोझ से कई मासूम शारीरिक विकृति का भी शिकार हो जाते हैं। विशेषज्ञों के पास कमर व पीठ दर्द की समस्या से ग्रस्त बीमार बच्चों की संख्या बढ़ी है। इसकी मूल वजह यह कि बैग लेकर मासूम न केवल चलते हैं, बल्कि उसको स्कूलों में सीढ़ी पर चढ़कर अपने वर्ग तक पहुंचना भी पड़ता है। --ऐसे नुकसान पहुंचा रहा स्कूल बैग हाल के दिनों में इस तरह की समस्या बच्चों में अधिक मिल रही है। जिसमें बच्चे कमर, पीठ व कंधे में दर्द की शिकायत कर रहे हैं। भारी स्कूल बैग के चलते बच्चा ऊपरी भाग को आगे की ओर झुका कर रखता है। सिर आगे रहने के कारण गर्दन व पीठ में ¨खचाव अधिक रहता है। जिससे  पीठ दर्द होने लगता है। इस संबंध में शिक्षा मंत्री   दीपक केसरकर ने  कहा बच्चों की स्कूल बैग का बोझ कम करने की घोषणा की है। इसी के मुताबिक, स्कूल स्तर पर दिए गए निर्देशों पर भी ध्यान दिया गया है,.

अनावश्यक पुस्तकें  कम की जाएं   सरकार ने स्कूलों को छात्रों पर पाठ्यपुस्तकों का बोझ कम करने के उपाय करने चाहिए।  प्रतिदिन आवश्यक पुस्तकें विद्यालय में रखनी चाहिए।  कुछ स्कूल यह प्रयोग करते हैं।  हालांकि, जैसे कुछ स्कूल हर दिन किताबें लाने के लिए कहते हैं, नोटबुक का बोझ बढ़ता जा रहा है।

थकावट की वजह से पढ़ाई में दिलचस्पी कम ,  मेरी बेटी अभी चौथी कक्षा में है . लेकिन उसका बैग का वजन इतना अधिक है कि वह उठा नहीं पाती है . लेकिन मजबूरी में उसे बैग कंधे पर टांगना पड़ता है . इस वजह से वह इतनी थक जाती है कि घर लौटने के बाद थकान के मारे सो जाती है . रेखा जाधव , पालक

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