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मासिक धर्म मे सावधानता जरुरी-डॉ.सौ.तायडे

मासिक धर्म मे सावधानता जरुरी-डॉ.सौ.तायडे

 महिला एवं नवयूवती में हर माह में पायी जानेवाली एक अत्यावश्यक प्रक्रिया को मासिक धर्म कहा जाता है.यह मेलस्ट्रेशन या मासिक धर्म गर्भपिशवी का आवरण मात्र हैं,जो हर माह बाहर फेंका जाता है.लीना यह 20 वर्ष की बोल्ड दिखनेवाली लड़की मेरे चेंबर में आकर कहने लगी मैडम,मुझे मेरे प्रॉब्लम के बारे में बताना है. मैंने उससे पूछा कि,आपके साथ कोई रिश्तेदार आए क्या? उन्हें अंदर बुलाओ. तो वह कहने लगी मैडम, मेरे पापा मेरे साथ आए हैं .किंतु उन्हें बाहर ही बैठने दीजिए .मेरा प्रॉब्लम रेगुलर नहीं है. अर्थात मेरे मासिक धर्म के बारे मेरे घर के किसी भी सदस्य को मालूम ना पड़े. और पुरुष वर्ग तो कतही ही नहीं. इस तरह से मासिक धर्म की घर में ही अवहेलना की जाती हैं." मेरा प्रॉब्लम मेरे स्वास्थ्य का नहीं है. केवल मेरा हो नही हो रहा हैं."ऐसी वह कहने लगी. और वह ही नहीं बल्कि हर लडकी यू ही इस तरह की बातें करते रहती हैं. हम हमारे घर में ही इन बातों को सदा छुपा कर रखते हैं. घर के पुरुषों को यह बात बताने नहीं. सैनिटरी पैड्स चुपके से बाथरूम में ले जाना और गुपचुप उसे डिस्पोज करना है.यहां तक कि अपने सहेलियों से भी इस बात का जिक्र नहीं किया जाता. घर के सदस्य भी अपनी लडकियो को इस संदर्भ में कुछ कहानी नहीं सुनाते. बहुत से नवयुवतियो में  मासिक धर्म का प्रारंभ कक्षा पांचवी, छठी में होता है. लेकिन उन्हें इस बात का किताबी ज्ञान दिया जाता है आठवीं, नौवीं में. बहुत से टीचर भी लाज लज्जा के कारण यह टॉपिक स्कीप करते हैं.यह विषय पढ़ाते नहीं है. मासिक धर्म मे बच्चियों, स्त्रियों पर क्या क्या बंधन लादा जाता है. पिरियड मे मंदिर में जाना नहीं, धार्मिक प्रोग्राम मे जाना नहीं है. पूजा अर्चना नहीं करना चाहिए.सामान को हाथ नहीं लगाना चाहिए.पाक ग्रुह में जाना नहीं चाहिए. यहा तक अचार को भी हाथ नहीं लगाना चाहिए आदि प्रश्नों से युवतीयों की मुश्किलें बढ़ाई जाती है. उनमे अपराधी की भावना निर्माण होती हैं. यह सवाल कैसे हल करना इसकी चिंता में लडकिया हमेशा दिखाई देती है. शारीरिक एवं मानसिक प्रबंध का यह प्रश्न अनुत्तरित रहता है. और उनके शारीरिक विकास को बाधा पहुंचाता है.सामाजिक कुंठा से बच्चियों के आत्मसम्मान को ठेस पहुंचती है. समाज इस पीरियड के बारे में कुछ कहता नहीं है. जब तक आप अपने मासिक धर्म पर खुले रूप से कहेंगे नहीं, तब तक सामाजिक बदलाव की प्रक्रिया प्रारंभ नहीं हो सकती.ऑकवर्ड और शेमफुल यह विषय कदापि नहीं हैं. श्यामल की मां अपने 14 वर्ष की श्यामल को लेकर मेरे पास आई और कहने लगी कि श्यामल का धर्म रेगुलर नहीं है. और वह नॉनस्टॉप शुरू है.उन्हें मैं दवाइयां दी और कहा की मासिक धर्म प्रारंभ होने के 2 से 3 वर्ष शरीर का हारमोंस रेगुलर नहीं रहता हैं.इसलिए पाली कम ज्यादा समय पर आ सकती है. चिंता की कोई बात नहीं. प्रक्रिया में दो से तीन पॅड यदि लगते हैं तो यह नॉर्मल की बात है. किंतु उससे अधिक ज्यादा पॅड लग रहे हैं तो डॉक्टर का मशवरा लेना चाहिए. मासिक धर्म का रक्तस्राव 3 से 5 दिन तक नॉर्मल रहता है. यदि यह ज्यादा दिन रहा तो डॉक्टर की सलाह ले.इन समय मे दर्द करना यह सामान्य लक्षण है. मासिक धर्म यह 9 से 16 वर्ष के दरमियान आ सकता है .9 वर्ष के भीतर यदि आया अथवा 16 वर्ष के पश्चात ना आया तो डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए. मनीषा ने मुझसे पूछा कि मैडम, मै कौनसा पॅड उपयोग मे लावू? मैंने उसे कहा कि रेडीमेड  सिंथेटिक पॅड उपयोग में लाए तो उसमें केमिकल रहता है. जिससे हार्मोन्स इंनबैलेंस हो सकता है. जिससे कर्करोग, मधुमेह थायराइड ,वंध्यत्व आदि हो सकता है. शिवाय पर्यावरण में भी सिंथेटिक्स से हम लोग कचरा उत्पन्न करते. इसलिए मासिक धर्म के समय कॉटन पॅड उपयोग में लाना सर्वोत्तम है. स्वच्छ साफ-सुथरे और धूप में छुपाए हुए पॅड चाहिए. हर 4 से 6 घंटे के पश्चात उसे बदलना चाहिए. नित्य नहाते समय  सादे पानी से जननांग को धोना चाहिए .धोते समय आगे से पीछे जाइए.पीछे से यदि आगे गये तो इन्फेक्शन योनि में हो सकता है .वह जगह नैपकिन और टिशू पेपर से साफ करें. डियो, डेटॉल न करें. इससे योनि मार्ग के नैसर्गिक प्रोटेक्टिव फ्लोरा निकल जाते हैं .और श्वेत प्रदर की तकलीफ हो सकती हैं.योनि मार्ग को भीतर से स्वच्छ करने का प्रयत्न बिल्कुल न करें . कोनसे सैनिटरी पैड्स उपयोग में लाये?  मेंस्ट्रूअल कप अथवा सीकप यह अच्छी और गोल्डन वस्तु है .यह पॅड सिलिकॉन मटेरियल से निर्मित रहती  हैं.एव 3 साइज में उपलब्ध रहती. हार्ड और सॉफ्ट भी रहती है.18 से 20 वर्ष की नवयुवतिया इसका उपयोग अच्छी तरह से कर सकती है .इसमें इन्फेक्शन या इन बैलेंस होने का खतरा नहीं रहता और किफायती दाम में उपलब्ध रहती हैं. इसे 10 वर्ष तक उपयोग में लाया जा सकता है. इसमे  मुवींग, खेलना, रनिंग, स्विमिंग, योगा आदि सब कुछ कर सकते हैं. जिस तरह से शहर में मासिक धर्म के प्रति एक जागरूकता निर्माण हुई है. उसी तरह ग्रामीण अंचल में भी मासिक धर्म के प्रति जागृति अत्यावश्यक हैं. ग्रामीण आंचल को भी मासिक धर्म के प्रति जागरूक करना चाहिए. मासिक धर्म का विषय पवित्र एव एक कुदरती प्रक्रिया है. कुदरत  नवनिर्मित का स्त्रोत्र इस माध्यम से उपलब्ध किया है. इसलिए समाज ने यह विषय खुले रूप से स्वीकार कर जनजागरण करना चाहिए.
डॉ.सीमा तायडे
स्त्री रोग तज्ञ,
डॉक्टर्स वूमंस विंग,अकोला

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