लाकडाउन में भी जारी है रोटी बैंक,कपड़ा बैंक, मेडिकल सहायता केंद्र, रोजगार अभियान जैसे सेवाभावी उपक्रम
फ्लाइंग कलर्स फाउंडेशन की सराहनीय पहल
अकोला-पिछले ५ वर्ष से लगातार सामाजिक कार्य में जुटी शहर की प्रसिद्ध संस्था फ्लाइंग कलर्स एजुकेशन फाउंडेशन लॉकडाउन में भी विभिन्न सामाजिक कार्यों से जरूरतमंद लोगों की मदद करने में लगी हुई है।
जहां ऐक तरफ रोटी बैंक से दवाखानों और सलम इलाकों में खाना और राशन वितरित किया जा रहा है वहीं दूसरी तरफ कपड़ा बैंक से जरूरतमंद लोगों और बच्चों को कपड़े, नऐ जूते और चप्पल भी वितरित किऐ जा रहे हैं।फाउंडेशन द्वारा जरूरतमंद मरीजों के लिऐ शुरू किऐ गऐ मेडिकल सहायता केंद्र से भी मेडिकल क्षेत्र में हर तरह की सेवा निशुल्क दी जा रही है। इसी तरह लॉकडाउन में अपना रोजगार खो देने वाले लोगों के लिऐ फाउंडेशन द्वारा रोजगार अभियान चलाया जा रहा है जिसमें कारोबार से लगाने के लिऐ हाथ गाड़ी, सिलाई मशीन, साइकिल रिक्शा या अन्य कोई वस्तु जरूरतमंदों को दिला कर दी जाती है ताकि वह दोबारा अपना कारोबार शुरू कर सके। संस्था अध्यक्ष डॉ जुबेर नदीम ने बताया कि साल भर के लाकडाउन में रोटी बैंक द्वारा अब तक तकरीबन दो लाख (२,००,०००) लोगों तक खाना पहुंचाया गया जबकि ११०० परिवारों तक राशन किट वितरित की गई। इस साल रमजान में भी ५०० परिवारों तक राशन किट पहुंचाने का काम शुरू है।
इसी तरह लॉकडाउन में कपड़ा बैंक द्वारा १००० से अधिक जोड़े कपड़े और ४०० स्वेटर तक्सीम किऐ जा चुके हैं। मेडिकल सहायता केंद्र द्वारा ८ मरीजों के मोतियाबिंद ऑपरेशन और चार अन्य मरीजों के बड़े ऑपरेशन निशुल्क करवाऐ गऐ जबकि ५०० से अधिक मरीजों को मेडिकल के विभिन्न क्षेत्रों में १.५ लाख रुपयों का कंसेशन करवा कर दिया गया। रोजगार अभियान द्वारा लॉकडाउन में १५ जरूरतमंद लोगों को रोजगार से लगाने मैं मदद की गई। संस्था द्वारा इन तमाम कार्यों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने वाले अहले खैर हजरात का भी फाउंडेशन के पदाधिकारियों ने शुक्रिया अदा किया है और आगे भी ताउन करते रहने की अपील की है।
संस्था द्वारा किऐ जाने वाले विभिन्न सामाजिक कार्यों की वजह से अकोला जिल्हा ही नहीं वल्कि पूरे विदर्भ में इसकी प्रशंसा की जा रही है। इन सामाजिक कार्यों में संस्था अध्यक्ष डॉ जुबेर नदीम के साथ डॉ मुजाहिद अहमद, रियाज खान, अब्दुल रहीम सर, रिजवान जमील खान, राहिल अफसर, सैयद मोहसिन अली, समीर खान,उबेद शेख, रियाज अहमद, डॉ सरोश खान, उबेद उल्लाह खान और अदील अशहर प्रथम प्रयास कर रहे हैं।
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